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अब भी शावल लेकी निकली हूँ, इससे दधाएँ अच्छी मुझी नहीं बद सकती थी
और नहीं कहते हो, चेरचार करने हैं, चेहरा देखने हैं
जाया तो वैसी तो देख लेते हैं उस टुपट इनसान
नहाने गई ले थी, सोरी ले ले थी
मैं इबना आसेकती, मैं इबना आसुकती, मुछी नहीं आगे बनानां पापाँ